"एक रोज" "एक रोज जब वो मुझसे मिलने आयेगा,क्या कहेगा वो मुझसे, क्या वफा की कसमें फिर से खायेगा,क्या गुजरे हुये पलों को फिर से लौटा पायेगा,और जो एक रोज हो जायेगा अकेला इस भीड़ में, क्या वो मुझ को उस भीड़ में ढूँढ पायेगा" #Mukesh Namdev
"माप" "नाप रहे हो मेरे ज़िस्म के हर एक कोने को अपने हाथों के माप से क्या ढूँढ रहे हो पुराने इश्क को इस जिस्म के गलियारों में मिल जाये तो इत्तला करना मुझे भी मैं भी ढूँढ लूँगा अपने खोये हुये इश्क को" #Mukesh Namdev
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें