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"बदनाम गली"

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         "बदनाम गली" "हमें शौक नहीं तुम्हारी गली में बार-बार आ के तुम्हारे ज़िस्म की नुमाइश देखने का,मगर मजबूर है हम,क्योंकि हमारा इश्क उस बदनाम गली में नज़र आता है"               #Mukesh Namdev

"रास्ता"

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 "रास्ता" "आज भी बचा के रखें है तुम्हारे कदमों के निशानों को  क्योंकि किसी और को उस रास्ते पे चलने नहीं दिया"                          #Mukesh Namdev

"जिस्म"

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 "जिस्म" "ये जिस्म नहीं है तुम्हारा,किसी तिजौरी की जिस्मनुमा चाबी है, जो खोल सकती है,वर्षो तलक बंद हुये जिस्मनुमा ताले को"                           #Mukesh Namdev

"माप"

 "माप" "नाप रहे हो मेरे ज़िस्म के हर एक कोने को अपने हाथों के माप से क्या ढूँढ रहे हो पुराने इश्क को इस जिस्म के गलियारों में मिल जाये तो इत्तला करना मुझे भी मैं भी ढूँढ लूँगा अपने खोये हुये इश्क को"             #Mukesh Namdev

"नमी"

 "नमी" "मेरे पास अल्फ़ाज नहीं हैं,उसकी मोहब्बत् को बयाँ करने के लिये मगर आँखों की नमी,सब कुछ बयाँ कर रही है,उसकी मोहब्बत् के बारे में"                             #Mukesh Namdev

"दास्ता"

 "दास्ता" "ये ज़िस्म नहीं तुम्हारा खुली हुई एक किताब है  हर पन्ने पे लिखी,हर एक ज़िस्म की एक अलग दास्ता  कोशिश कर रहा हूँ,तुम्हारी इस किताब को पूरा करने का  मगर हर बार दिल करता है,चूम लूँ तुम्हारी किताब के हर एक पन्ने को"                        #Mukesh Namdev

"स्याही"

 "स्याही" "जब तक देहरूपी कलम में साँसरूपी स्याही रहेगी,तब तक मेरी कलम से निकला हुआ हर एक अल्फ़ाज,तुम्हारी मोहब्बत् का कर्जदार रहेगा"                          #Mukesh Namdev

"नाम"

 "नाम" "सुना है,आज उसको देखने वाले आये हैं,और जो देखने आया है,उसका नाम भी मेरे नाम पर है,क्या इत्तेफाक है ना,जिस नाम से वो जिन्दगी भर का छुटकारा चाहते है,आज उसी के नाम का सिन्दूर लगाने को तैयार है"                                  #Mukesh Namdev

"संभोग"

 "संभोग" "जब जिस्म का जिस्म से मिलन होता है, तो प्रेम का प्रसंग शुरू होता है, तब जाकर संभोग से समाधि की ओर का चलन शुरू होता है, बिखरे हुये केशो को फिर से संभला जाता है, नंगे बदन को फिर से ढका जाता है , बिस्तरों की सलवटो को फिर से संभला जाता है,और फिर से संभोग से समाधि की ओर का चलन शुरू होता है जब जिस्म का जिस्म से मिलन होता है तो प्रेम का प्रसंग शुरू होता है"                                  #Mukesh Namdev

"वर्तमान"

 "वर्तमान" "चलो फिर कहीं चलते है,दूर कहीं सपनों की गली में चलते है,  जहाँ हम और तुम और तुम और हम हो,शिवाये तुम्हारे वक्त के,   क्योंकि तुम्हारे साथ हम नहीं तुम्हारा वर्तमान चलता है,   जो हर बार याद दिलाता है,ये ख्वाब है हकीकत नहीं"                        #Mukesh Namdev

"लकीर"

 "लकीर" "जिसको मिली मेरे हिस्से कि मोहब्बत् मुझे उसकी हथेली देखनी है, कैसी होती है,वो लकीर जिसने मेरे हिस्से कि मोहब्बत् मुझ से छिनी है"                                 #Mukesh Namdev

"अल्फ़ाज़"

 "अल्फ़ाज़" "कोशिश कर रहा हूँ,तुम्हारे बारे में लिखने की हर रोज-रोज-हर रोज मगर वो अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊँ,जो तुम्हें पूरा कर सकें"                             #Mukesh Namdev

"कर्ज"

 "कर्ज" "सोच रहा हूँ,उनसे जाकर मिल आऊँ,कुछ कर्ज बचा हुआ है,           उनका चुकाकर कुछ और कर्ज ले आऊँ"                       #Mukesh Namdev

"औरत"

 "औरत" "कभी देखा है किसी औरत के जिस्म को,शांत ठहरे हुये पानी के तरह   होता है,मगर जिद पर आ जाये तो,तबाही के लिये उसकी एक निगाह                                   ही काफी होती है"                              #Mukesh Namdev

"लाल"

 "लाल" "लोग कहते है,शादी का रंग सिंदूरी होता है,मगर कभी-कभी          यही सिंदूरी रंग रक्त की तरह लाल हो जाता है"                     #Mukesh Namdev

"कोशिश"

 "कोशिश" "कोशिश कर रहा हूँ,खुद को तुम से अलग करने की मगर क्या करूँ, हर रात जो मेरे सपने मे आकर दबे पाँव से मेरे कानों मे आकर कहना, रुक जाओ जरा कुछ वक्त के लिए बस अभी लौट कर आई"                            #Mukesh Namdev

"बात"

 "बात" "मेरे जख्म आज फिर से हरे हो गये कोई तुम्हारे,   जैसा तुम्हारी जैसी कुछ बात कह के चला गया"                   #Mukesh Namdev

"समुंदर"

 "समुंदर" "मैं आया हूँ तुमको ढूंढने के लिये किताबों के समुंदर मे,उधार के कुछ अल्फ़ाज लिये हुये,कोशिश जारी है,उन अल्फ़ाजों को ढूंढने की जिन अल्फ़ाजों से तुम्हारी यादों को कलम से कागज पर उतारा जा सके"                                   #Mukesh Namdev

"रूह"

 "रूह" "मैं तुम्हें तब तक गले लगाना चाहता हूँ,   जब तक तुम्हारी रूह मेरी रूह मे न समा जाये"  #Mukesh Namdev

"तस्वीर"

 "तस्वीर" "मैं कुछ बिल और पुराने काग्जातों को खोज रहा था,जो कभी बिलनुमा हुआ करते थे,खोजते-खोजते मेरी नज़र मेरे बटुये की तरफ़ गई,तो वो सारे काग्जात वहीं मौजूद थे,जिन्हें मैं खोज रहा था वो सब काग्जात तो मिल चुके थे,पर साथ में मिली कुछ मुड़ी,कटी,फटी कुछ धुंधली सी यादें जो एक तस्वीर थी,जिसमें मैं और मेरा पुराना वक्त एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहा था"  #Mukesh Namdev

"साँस"

 "साँस" "मुझे याद भी नहीं,मैं दिन मे कितनी दफ़ा तुम्हें याद करता हूँ, मगर जब-जब साँस लेता हूँ,तब- तब तुम्हें याद करता हूँ"                          #Mukesh Namdev

"इश्क़"

 "इश्क़" "अधूरा इश्क़ है मेरा पूरा करने की तमन्ना बाकी है,     वो आयेंगे ये जुस्तजू अभी-भी बाकी है"                  #Mukesh Namdev

"सड़क"

 "सड़क" "आज भी वो सड़क तुम्हारे और तुम्हारे घर का पता बताती है, मगर अब दरवाजे और खिड़कीयां बंद नज़र आती हैं, मैं जब कभी उस सड़क पर जाता हूँ तो घण्टों खड़ा रहता हूँ,   और इंतजार करता हूँ,तुम्हारे दरवाजे और खिड़कीयां खुलने का और कोशिश करता हूँ,तुम्हारे वजूद को ढूढने की  मगर खिड़की से तुम्हारी एक तस्वीर नज़र आती है  तुम्हारे हमसफर के साथ"                 #Mukesh Namdev

"किरदार"

 "किरदार" "ये जररूतों का दौर है,साहब इसलिये किरदार पर मत जाईये  जो इंसान होता है वो दिखाई नहीं देता,जो दिखाई देता है,वो वास्तविकता मे किरदार होता है"               #Mukesh Namdev

"अधूरापन"

 "अधूरापन" " कुछ चीजें अधूरी ही अच्छी लगती है,वो चाहे प्रेम हो,या सफर हो,या बातें,या कहानीयाँ,या रास्ते,या फिर सपने ये अधूरे ही अच्छे लगते हैं क्योंकि इनकी यादें एक नायब खुशबू की तरह वक्त -वक्त पर याद आती रहती हैं "                                 #Mukesh Namdev

"नारी"

 "नारी" "इस धरा पर पुरुष प्रजाति ने इस धरा की हर वस्तु पर विजये हासिल की है,चाहे वो धन,सम्पति,शक्ति,ज्ञान या अधिपत्र क्यो न हो उसने इस धरा की हर वस्तु को जीता है,पर नारी प्रजाति ने उस विजये पुरुष को ही जीत लिया है,जिसने इस धरा पर किसी भी वस्तु-मात्र पर अपना अधिपत्र हासिल नही किया है,इसलिये इस धरा की सर्वशक्तिशाली सिर्फ एक ही प्रजाति है,जिसे पुरुष प्रजाति नारी कहके पुकारता है"                       #Mukesh Namdev

"सिर्फ-तुम"

 "सिर्फ-तुम" "मैं कोशिश करता हूँ,तुमको खुद से अलग रखने की,पर इस मसरूफ़ियत भरी जिंदगी मे,एक वक्त ऐसा भी आता है,जिस वक्त सिर्फ-तुम याद आती हो मुझे"                          #Mukesh Namdev

"रूह"

 "रूह" "लोग मोहब्बत् में रह के रुह मे उतरने की बात करते हैं,  पर पता नहीं,रूह मे उतरते है या नहीं,पर जिस्म में उतर ही जाते है"                     #Mukesh Namdev

"अदाकारी"

 "अदाकारी" "सोच रहा हूँ, की अदाकारी करना शुरू कर दूँ,  क्योंकि तकलीफ़ मे भी अदाकारी काम आती है"                #Mukesh Namdev

"गुरूर"

 "गुरूर" "हम जिस किरदार में रहते हैं,उस किरदार में गुरूर रखते हैं,  और सामने वाले को,मिट्टी में रौंदने की ताकत भी रखते हैं"                          #Mukesh Namdev

"मुजस्समा"

 "मुजस्समा" "मैं तुम्हारा एक मुजस्समा (प्रतिमा) बनाना चाहता हूँ,  तुम तो हो नहीं मगर,तुम्हारे मुजस्समें से लिपटकर रोना चाहता हूँ"                    #Mukesh Namdev