"वर्तमान"

 "वर्तमान"

"चलो फिर कहीं चलते है,दूर कहीं सपनों की गली में चलते है,

 जहाँ हम और तुम और तुम और हम हो,शिवाये तुम्हारे वक्त के, 

 क्योंकि तुम्हारे साथ हम नहीं तुम्हारा वर्तमान चलता है, 

 जो हर बार याद दिलाता है,ये ख्वाब है हकीकत नहीं"

                       #Mukesh Namdev

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