"बदनाम गली"

"बदनाम गली" "हमें शौक नहीं तुम्हारी गली में बार-बार आ के तुम्हारे ज़िस्म की नुमाइश देखने का,मगर मजबूर है हम,क्योंकि हमारा इश्क उस बदनाम गली में नज़र आता है" #Mukesh Namdev
Poem, Article, Shayari, Indian mythology